सुबह आई नहीं अब तलक चांद की कश्ती, तूफानों में उलझी हुई लगती है। सुबह आई नहीं अब तलक चांद की कश्ती, तूफानों में उलझी हुई लगती है।
आओ चले उस कश्ती मे जिसे कोई किनारा न मिले। आओ चले उस कश्ती मे जिसे कोई किनारा न मिले।
कहानी जो आज भी जीवंत है कहानी जो आज भी जीवंत है
कुछ मुकम्मल ख्वाब, पर अधूरे होने पर नाज़ भी हैं, उस पुरानी डायरी की धूल की कसम, आहटें आज भी हैं। कुछ मुकम्मल ख्वाब, पर अधूरे होने पर नाज़ भी हैं, उस पुरानी डायरी की धूल की कसम, ...
छिड़ी एक जंग जो राजा संभाल ना पाया... अपनी प्यारी मोहब्बत को बचा ना पाया... छिड़ी एक जंग जो राजा संभाल ना पाया... अपनी प्यारी मोहब्बत को बचा ना पाया...
"ख़ामोशी एक ज़ुबा" जो समझ सकता कोई,तो शायद ये दिल ना, रोता अकेले बैठ यूँ ही। "ख़ामोशी एक ज़ुबा" जो समझ सकता कोई,तो शायद ये दिल ना, रोता अकेले बैठ यूँ ही।